इस चंचल इक्कीसवीं सदी
के अनुभव को मैं कला में ढाल नहीं पाता
साँचे में ढाल नहीं पाता
इसीलिए, सोचता हूँ –
मैं कविताएं नहीं लिख पाता।
10.02.2006
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