रविवार, 30 अक्तूबर 2011

ऐ चकोर!

उड़ो-उड़ो उन्मुक्त
चन्द्र को अपने छोड़
ऐ चकोर!
गगन के छोर-छोर.
तुम पंछी, पंख तुम्हारे
मुक्त बनो! तज अंक हमारे
हम निश्छल पंख विहीन
दाग-धब्बे युक्त दीन.
तुम सक्षम जीव, धरो रूप नित नवीन
हम निर्जीव, पर सुनो! नहीं हृदयहीन.
तुम उड़ो-उड़ो मुक्त
पर मैं नहीं अभियुक्त
ऐ, चकोर!

विचरना मीरा के देश में ख़रामा-ख़रामा

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