बैलट नंबर देख एबीवीपी गद्गद 2 Sep 2008, 0051 hrs IST,नवभारत टाइम्स
भूपेंद्र नई दिल्ली : दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (डूसू) चुनाव में पिछले कई सालों से हार रही एबीवीपी इस बार कैंडिडेट के बैलट नंबर को देखकर ही फूले नहीं समा रही है और विश्वास से कह रही है कि जीत उसे ही मिलेगी। एबीवीपी नंबर गेम को पूरे तर्क-वितर्क के साथ पेश कर रही है। संगठन के 3 कैंडिडेट का बैलेट नंबर 3 है और उसका कहना है कि 3 नंबर के कैंडिडेट की सफलता दर बहुत अधिक है। यही नहीं, इसी नंबर गेम के सहारे वह एनएसयूआई पर भी ग्रहण लगने की बात कह रही है। दरअसल, एनएसयूआई के कैंडिडेट का बैलेट नंबर 8, 2, 2, 1 है और इसका टोटल 13 बैठता है जबकि एबीवीपी के कैंडिडेट का नंबर 3, 5, 3, 3 है और टोटल 14 है। एबीवीपी का कहना है कि 13 नंबर को शुभ नहीं माना जाता। एबीवीपी के प्रवक्ता श्रीनिवास का कहना है कि 1984 में बलराम यादव एबीवीपी के टिकट पर डूसू का चुनाव जीते थे और उनका भी 3 नंबर ही था। बलराम की बेटी अनुप्रिया इस बार संगठन की टिकट पर सेक्रेटरी का चुनाव लड़ रही है और उसका नंबर भी 3 ही है। अनुप्रिया की डेट ऑफ बर्थ भी है 3 अक्टूबर। इसी तरह नकुल भारद्वाज वाइस प्रेजिडेंट और प्रेजिडेंट का चुनाव जीते थे और दोनों बार उनका नंबर 3 था। दीप्ति रावत भी 3 नंबर बैलट के साथ ही सेक्रेटरी का चुनाव जीती थी। यही नहीं, एबीवीपी तो चुनाव कार्यालय को लेकर भी खुश है। इस बार एबीवीपी का चुनाव कार्यालय 6, महादेव रोड है और संगठन का कहना है कि जब-जब इस जगह कार्यालय बनता है तब-तब जीत मिलती है। अब एबीवीपी का यह विश्वास कायम रहता है या नहीं, यह तो 6 सितंबर को ही पता चलेगा लेकिन एनएसयूआई इस तरह के गणित को एबीवीपी का अंधविश्वास बता रही है। एनएसयूआई के प्रवक्ता आनंद पांडे का कहना है कि एबीवीपी की यह सोच संगठन की मानसिकता और दकियानूसी सोच को दर्शाती है। उनका कहना है कि एबीवीपी का यह शिगूफा किसी काम नहीं आएगा और जीत एनएसयूआई की ही होगी। पांडे कहते हैं कि उनके संगठन के कई कैंडिडेट 13 नंबर के साथ भी रेकॉर्ड वोट से जीते हैं और एबीवीपी दुष्प्रचार कर रही है।
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