बुधवार, 29 अक्टूबर 2008

राजनीति और मनुष्य

राजनीति से बाहर हो गया है मनुष्य—
"मानुष-सत्य'
बच गया हे केवल
मनुष्य का कुल- गोत्र
धर्म-कर्म
यानी --
राजनीति के जगत से मनुष्य
अपनी केंचुल / अपनी ऊपरी पहचान को
छोड्कर कहीं और चला गया है.
मैं खोजता हूँ.....
कहाँ गया और क्यों ?
लेकिन, देखता हूँ
आदमी का चला जाना नहीं
उसकी केंचुलें और पहचानें
राजनीति का मुद्दा बनी हुई है.
१०.०२.२००६

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